छलांग फिल्म रिव्यू | Chhalaang film review starring Rajkummar Rao and Nushrratt Bharuccha | Amazon Prime Video Chhalaang movie review

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फिल्म की कहानी

फिल्म की कहानी

मोंटू उर्फ महेन्द्र सिंह हूडा (राजकुमार राव) अलसाई आंखों के साथ अपनी मां से कहता है- “बच्चों के भविष्य की चिंता है, इसीलिए खेलकूद में टाइम बर्बाद नहीं करता उनका मैं..” एक अर्ध शासकीय स्कूल में मोंटू पीटी मास्टर है, लेकिन अपने जिम्मेदारी से कोसों दूर। वह कभी वैलेंटाइन डे के मौके पर इलाके के पार्क में प्रेमी जोड़ों को मारने भी निकल पड़ता है, कभी नेताओं की तरह भाषण देकर राजनीति में उतरने के सपने भी देखता है। खैर, उसकी सोच में थोड़ी तब्दीली तब आती है, जब उसी स्कूल में कंप्यूटर पढ़ाने आती है नीलिमा उर्फ नीलू (नुसरत भरूचा)। इनकी कहानी कुछ आगे बढ़ती ही है, जब स्कूल में बतौर सीनियर कोच आते हैं सिंह साब (मोहम्मद ज़ीशान अय्यूब)। सिंह सर का आना मोंटू को ना सिर्फ उनकी नौकरी के प्रति जिम्मेदार होने का अहसास दिलाता है, बल्कि स्पोर्ट्स को लेकर उसकी सोच को भी बदलता है। लेकिन अब स्कूल और नीलू के दिल में अपनी जगह कायम रखने के लिए मोंटू को अपनी काबिलियत साबित करनी है, जिसके लिए वह बड़ा कदम उठाता है। इन्हीं किरदारों के इर्द गिर्द घूमती है फिल्म की कहानी।

निर्देशन

निर्देशन

हंसल मेहता पहली बार एक हल्की फुल्की कॉमेडी के साथ आए हैं। फिल्म के माध्यम से दिये जा रहे संदेश को उन्होंने सीधे सपाट तरीके से सामने रखा है। स्कूली छात्रों के लिए स्पोर्ट्स की महत्ता बताने के साथ साथ लिंग भेदभाव पर भी बात की गई है।

बहरहाल, लव रंजन, असीम अरोड़ा और ज़ीशान कादरी द्वारा लिखी गई इस कहानी में नयापन नहीं दिखती है। शुरुआत से ही क्लाईमैक्स का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। ऐसे में हंसल मेहता का सधा हुआ निर्देशन में फिल्म को संभाल नहीं पाता है।

अभिनय

अभिनय

राजकुमार राव ने अपने करियर की पांच फिल्में हंसल मेहता के निर्देशन में की हैं। लिहाजा, निर्देशक ने उनके मजबूत पक्षों को बेहतरीन दिखाया है। राजकुमार की कॉमेडी का एक अलग अंदाज है, जो इस फिल्म में भी चेहरे पर हंसी छोड़ जाता है। पीटी मास्टर मोंटू के किरदार में वो जंचे हैं। हालांकि स्पोर्ट्स से जुड़े दृश्यों में उन्हें और देखने की चाह थी, जिसे पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है। मुकाबले में मोंटू के सामने खड़े सिंह सर के किरदार में मोहम्मद ज़ीशान अय्यूब प्रभावी हैं। उनके हिस्से में डायलॉग्स कम हैं, लेकिन कहानी में उनका योगदान दिखता है। नुसरत भरूचा, सौरभ शुक्ला, ईला अरूण, सतीश कौशिक, जतिन शर्ना अपने अपने किरदारों में फिट बैठे हैं। शायद ये सभी इतने मंझे हुए कलाकार हैं कि औसत कहानी में अपने किरदारों की पकड़ ढ़ीली छोड़ते नहीं दिखते।

संगीत

संगीत

फिल्म में तीन गाने हैं, जिसका संगीत हितेश सोनिक, गुरु रंधावा और हनी सिंह ने दिया है। गाने काफी औसत हैं और फिल्म की कहानी को कुछ मिनटों के लिए खींचते लगते हैं। टाइटल ट्रैक ‘ले छलांग’ छोड़कर कोई भी गाना फिल्म खत्म होने के बाद याद नहीं रह जाता। इस गाने के लिरिक्स लव रंजन ने लिखे हैं और गाया है दिलेर मेंहदी ने।

तकनीकि पक्ष

तकनीकि पक्ष

आकीव अली और चेतन सोलंकी की एडिटिंग सराहनीय है। फिल्म में कुछ दृश्य हैं, जो पूर्वानुमानित होकर भी प्रभाव छोड़ते हैं। हालांकि क्लाईमैक्स में काफी कमी लगती है। असित नरेन की सिनेमेटोग्राफी औसत है। कई दृश्य देखे- दिखाए से लगते हैं। वहीं, संवाद भी कमजोर हैं। इतने उम्दा कलाकारों की टोली होने के बावजूद फिल्म कई पक्षों में कमजोर दिखती है।

क्या अच्छा क्या बुरा

क्या अच्छा क्या बुरा

फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष इसकी कास्टिंग है। राजकुमार राव, नुसरत और ज़ीशान के अलावा भी सारे सपोर्टिंग कास्ट ने सराहनीय काम किया है। वहीं, फिल्म को ऊबाऊ बनाती है, वह है लेखन, जो कि बेहद औसत है। पिछले एक दशक में बॉलीवुड में स्पोर्ट्स आधारित कई फिल्में आई हैं, लिहाजा एक कहानी में एक नयापन की डिमांड थी।

देखें या ना देखें

देखें या ना देखें

छलांग की कहानी में कोई नयापन नहीं है, लेकिन हंसल मेहता का निर्देशन और राजकुमार राव- मोहम्मद जीशान अय्यूब का अभिनय इस फिल्म को एक दर्जे ऊपर ले जाता है। स्पोर्ट्स पर बनी फिल्में पसंद करते हैं, तो छलांग देखी जा सकती है। फिल्मीबीट की ओर से फिल्म को ढ़ाई स्टार।