
फिल्म की कहानी
बॉम्बे पर गैंगस्टर गायतोंडे का राज था। उसके आदमी आम दुकानदारों से आए दिन मनचाहा हफ्ता वसूली करते थे। शहर भर में कोई उनके खिलाफ आवाज नहीं उठाता था। एक दिन एक 12 साल के लड़के अर्जुन (प्रतीक बब्बर) ने उनके जुल्म के खिलाफ आवाज उठाई, लेकिन उसी वक्त गायतोंडे के आदमियों ने उसे मार मारकर अधमरा कर दिया। अर्जुन के ब़ड़े भाई अर्मत्य राव (जॉन अब्राहम) को इस घटना के बारे में जैसे ही बताया गया.. वह बदले की आग में ऐसा धधका कि बिना सोचे समझे उसने अपराध की दुनिया में कदम रख दिया। अपने सबसे बड़े दुश्मन गायतोंडे को खत्म करना ही उसका लक्ष्य बन जाता है। इसमें उसे सहारा मिलता है मुरली शंकर (सुनील शेट्टी), ड्रग डीलर नारी खान (गुलशन ग्रोवर) और भाऊ (महेश मांजरेकर) का, जो कि एक नेता है (बालासाहेब ठाकरे से प्रेरित किरदार)।
अपने तीन दोस्तों के साथ मिलकर जल्द ही अर्मत्य बॉम्बे का एक नया गैंगस्टर बनकर उभरता है.. दादर से बायकुला तक उसका राज चलता है। लेकिन इस बीच एंट्री होती है एनाउंटर स्पेशलिस्ट इंस्पेकटर विजय सवांरकर की, जो अर्मत्य के राज को खत्म करने की कसम खा लेता है। ऐसे में गायतोंडे, अर्मत्य, भाऊ और इंस्पेकटर विजय सवांरकर के बीच क्या लिंक बनता है, कौन बचता है और किसका राज खत्म होता है.. इसी के इर्द गिर्द घूमती है फिल्म की कहानी।

निर्देशन
संजय गुप्ता ने इससे पहले काबिल (2017) जैसी बेहतरीन फिल्म दी थी, लिहाजा मुंबई सागा से भी एक उम्मीद जुड़ी थी। बॉलीवुड में गैंगस्टर ड्रामा को ज्यादातर टिपिकल मसाला फिल्म बनाकर परोसा जाता है। संजय गुप्ता भी इससे इतर नहीं गए हैं। एक से बढ़कर अभिनेता को लेकर उन्होंने 1980-90 के बॉम्बे की पृष्ठभूमि पर क्राइम ड्रामा रचने की कोशिश की, जहां भरपूर एक्शन है, संस्पेंस है, ड्रामा और डायलॉगबाजी है। लेकिन एक पक्ष जहां फिल्म कमजोर होती है, वह यह कि फिल्म में कोई नयापन नहीं है। फिल्म को 2021 के लिहाज से बनाने की कोई कोशिश नहीं की गई है। फिल्म में एक भी संस्पेंस काम नहीं करते हैं। सारे दृश्य घिसे पिटे से दिखते हैं।

अभिनय
गैंगस्टर अर्मत्य राव के किरदार में जॉन अब्राहम अपना प्रभाव छोड़ते हैं। गंभीर और संवेदनशील दृश्यों में हालांकि अभी भी उनकी पकड़ कच्ची है, लेकिन एक्शन सीन्स में उनका दम जबरदस्त दिखता है। जॉन और इमरान के बीच की फाइट सीन्स फिल्म की हाईलाइट है। इंस्पेकटर विजय सवांरकर बने इमरान हाशमी अच्छे लगे हैं। कहना गलत नहीं होगा कि उन्होंने अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है।
इनके अलावा दो और किरदार जो दमदार दिखे हैं, वो हैं महेश मांजरेकर और रोहित रॉय। अर्मत्य राव के पत्नी के रोल में काजल अग्रवाल के पास गिने चुने ही संवाद हैं, उनके किरदार को काफी सीमित रखा गया। प्रतीक बब्बर अर्मत्य के भाई के रोल में जंचे हैं। सुनील शेट्टी और गुलशन ग्रोवर गिने चुने दृश्यों में हैं, लेकिन उनका व्यक्तित्व असर छोड़ता है। फिल्म में सबसे कमजोर दिखे हैं अमोल गुप्ते, जो कि मुख्य विलेन हैं।

तकनीकि पक्ष
तकनीकि स्तर पर फिल्म बेहद औसत है। शिखर भटनागर की सिनेमेटोग्राफी कोई प्रभाव नहीं छोड़ती है। मुंबई एक ऐसा शहर है, जिसे अलग अलग निर्देशकों ने काफी अलग अलग अंदाज़ में बड़े पर्दे पर दिखाया है, और हर बार शहर का एक नया ही चेहरा सामने आता है। लेकिन ‘मुंबई सागा’ में यह कमी लगातार खटकती रहती है। बंटी नेगी ने एडिटिंग पर अच्छा काम किया है। वहीं, रॉबिन भट्ट और संजय गुप्ता द्वारा लिखी गई पटकथा काफी घिसी पिटी सी लगती है। एक्शन सीन्स और डायलॉगबाजी के बीच लेखक ने कहानी बिल्कुल ढ़ीली छोड़ दी।

संगीत
फिल्म का संगीत दिया है पायल देव और यो यो हनी सिंह ने, जो कि औसत है। गाने लिखे हैं होमी दिल्लीवाला और हनी सिंह ने। गणपति गाना ‘डंका बजा’ एक अच्छा माहौल बनाता है, लेकिन याद नहीं रहता। वहीं, हनी सिंह पर फिल्माया गाना ‘शोर मचेगा’ सिर्फ शोर ही लगता है।

क्या अच्छा, क्या बुरा
जॉन अब्राहम, इमरान हाशमी, महेश मांजरेकर, सुनील शेट्टी जैसे कलाकारों को स्क्रीन पर साथ देखना जरूर अच्छा लगता है। लेकिन ये सारे अभिनेता मिलकर भी कमजोर कहानी को उठा नहीं पाए। बॉलीवुड में पहले भी कई गैंगस्टर ड्रामा फिल्में आ चुकी हैं, जिसे काफी पसंद भी किया गया। जिसमें संजय गुप्ता की ही कांटे, शूटआउट एट लोखंडवाला जैसी फिल्में शामिल हैं।
‘मुंबई सागा’ 80 दशक के मुंबई की कहानी है, जब गैंग्सटरवाद चरम पर था। यहां निर्देशक ने प्लॉट तो अच्छा चुना, लेकिन उसके ट्रीटमेंट में कुछ नया नहीं दिखा पाए.. ना सिनेमेटोग्राफी, ना डायलॉगबाजी और ना ही एक्शन सीन्स।

देखें या ना देखें
यदि बॉलीवुड एक्शन फिल्म और जॉन अब्राहम के फैन हैं, तो मुंबई सागा देखी जा सकती है। कई मायनों में ये फिल्म घिसी पिटी है, आने वाले हर दृश्य का अंदाजा आपको होता है, लेकिन बड़े पर्दे पर दो नायकों को लड़ते- हड्डियां कड़काते देखना यदि आप पसंद करते हैं, तो मुंबई सागा आपको निराश नहीं करेगी। फिल्मीबीट की ओर से मुंबई सागा को 2.5 स्टार।