विक्रांत-कृति स्टारर फिल्म का क्लाइमेक्स हड़बड़ी में किया गया खत्म, फुल फैमिली ड्रामा । 14 phere film review starring vikrant massey kriti kharbanda released on zee5 pr – News18 Hindi

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फिल्म ‘14 फेरे’ में अपने ऑफिस के दोस्तों के साथ संजय लाल सिंह उर्फ संजू यानी विक्रांत मैसी और अदिति करवासरा यानी कृति खरबंदा अपनी शादी की प्लानिंग बनाते हैं. इसी प्लानिंग पर डायरेक्टर देवांशु सिंह ने सामाजिक मुद्दों को उठाया है. जी5 पर रिलीज हुई इस लव स्टोरी में संजय बिहार के रहने वाले हैं और अदिति राजस्थान की. दोनों की कॉलेज में रैंगिंग होती है और दोनों की प्रेम कहानी आगे बढ़ती हुई लिव-इन-रिलेशनशिप तक पहुंच जाती है. दोनों के परिवारवाले इनकी शादी के खिलाफ होते हैं. लेकिन संजय और अदिति न तो भागकर शादी करते हैं और न ही फैमिली वालों से इसके लिए मान-मनौव्वल करते हैं. इसकी जगह गोलमाल प्लानिंग करते हैं. यानी ‘अगर आप उन्हें मना नहीं सकते हैं तो कंफ्यूज कर दो’ इसी तर्ज पर अदिति के घरवालों के लिए संजय नकली फैमिली बनाता है और संजय की फैमिली के लिए यही काम अदिति करती है.

निर्देशन और अभिनय

देवांशु सिंह के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में ऐसा कुछ खास नयापन नहीं  है लेकिन फीकापन भी नहीं है. विक्रांत मैसी ने एक बार फिर अपने दमदार अभिनय का परिचय दिया है. कृति खरबंदा की एक्टिंग को ठीक-ठाक कह सकते हैं. गौहर खान को अपने कैरेक्टर में ओवरएक्टिंग करनी थी तो वह उन्होंने की है. जमील खान भी अपने रोल के साथ इंसाफ करते दिखे. संजय की मां सारालाल सिंह के रोल में यामिनी दास की उपस्थिति कम है, लेकिन जितनी भी अच्छी है.

फिल्म की खासियत

संजय एक ब्यॉयफ्रेंड होने के साथ-साथ अच्छे बेटे और भाई की भूमिका में भी है. इस फिल्म में सामाजिक मुद्दे जैसे इंटर-कास्ट मैरिज, हॉरर किलिंग, अकेले रहने वाले माता-पिता का दर्द जैसे मुद्दों को हल्के फुल्के अंदाज में उठाने की कोशिश की गई है. इसके अलावा नए जमाने के युवाओं की सोच और बेफ्रिकी को भी दिखाया गया है. सबसे अच्छी बात कि भारी-भरकम उपदेश दिए बिना मुद्दों को दर्शाने की कोशिश की गई है.

फिल्म की कमी और अच्छाई

रोमांटिक फिल्म में कॉलेज लाइफ और लिव इन को काफी कम देर दिखाया जाना दर्शकों को अखर रहा है. कहीं-कहीं कमजोर स्क्रिप्टिंग भी समझ आ रही है. इसके अलावा ओटीटी पर रिलीज के मुताबिक साउंड पर भी काम करने की जरूरत है. एडिटिंग की कमी है. इसके साथ फिल्म का क्लाइमैक्स दिखाने में देवांशु सिंह जल्दीबाजी कर गए. हालांकि रिजू दास की सिनेमैटोग्राफी काफी अच्छी है. करीब 2 घंटे की फिल्म के कुछ सीन दिल छू लेने वाले हैं. सबसे अच्छी बात इस फिल्म में जो है यह है कि आप अपनी फैमिली के साथ देख सकते हैं.

संगीत

इस फिल्म में गाने हर मौके पर मौजूद हैं. शादी हो या शादी की तैयारी, संजय-अदिति की लड़ाई, हर मौके के लिए गाना है. गाने की वजह से फिल्म अच्छी बन पड़ी है. राजीव भल्ला और जैम 8 ने नए जमाने की तर्ज पर म्यूजिक बनाने की कोशिश की है. कुल मिलाकर इस फिल्म को 2.5 स्टार दे सकते हैं.

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