
प्रसिद्ध लेखक शानी को प्रेमचंद के बाद हुए सबसे बड़े साहित्यकारों में से एक बताते हुए जाने माने आलोचक और लेखक डॉ. जानकी प्रसाद शर्मा ने कहा कि शानी के साहित्य में गर्दिश और गरीबी का चित्रण मिलता है.
डॉ शर्मा ने जश्न-ए-अदब महोत्सव में ‘शानी के कथा साहित्य की प्रासंगिकता’ विषय पर चर्चा के दौरान कहा ‘शानी प्रेमचंद्र के बाद के सबसे बड़े साहित्यकारों में से एक के तौर पर सामने आए.’ उन्होंने कहा कि प्रेमचंद के बाद शानी एक ऐसे लेखक रहे जिनके साहित्य में गर्दिश और गरीबी का चित्रण मिलता है.
वरिष्ठ पत्रकार महेश दर्पण ने कहा कि शानी ने वही लिखा जो उन्होंने भोगा था. उन्होंने कहा कि शानी हिंदी के ऐसे मुस्लिम लेखक थे जिन्होंने हिंदी साहित्य में मुसलमानों की उपेक्षा को लेकर सवाल उठाया.
तीन दिन तक चला सम्मेलन
शानी का पूरा नाम गुलशेर खां शानी है. उनका जन्म 16 मई 1933 को हुआ और 10 फरवरी 1995 में उनका इंतकाल हो गया था.
शानी की मशहूर रचनाओं में ‘काला जल’, ‘कस्तूरी’, ‘पत्थरों में बंद’ ‘आवाज एक लड़की की’ शामिल हैं.
शुरुआत में उनकी कई कहानियां पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती थी लेकिन 1957 के ‘कहानी’ पत्रिका के विशेषांक में एक कहानी के प्रकाशित होते ही नई कहानी के रचनाकारों के साथ उनका नाम सम्मानपूर्वक लिया जाने लगा. इस सत्र में जामिया मिलिया इस्लामिया में प्रोफेसर और ऊर्दू के लेखक डॉ. खालिद जावेद और शानी के पुत्र और वरिष्ठ पत्रकार फिरोज शानी ने भी हिस्सा लिया.
काव्य और साहित्योत्सव जश्न-ए-अदब का छठा संस्करण 27 अक्तूबर से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में हुआ. इस तीन दिवसीय उत्सव का रविवार को समापन हो गया.