Board Exam Tips 2023: माता पिता आपसी झगडे भूलकर परीक्षा तक बच्चे पर दें ध्यान, बच्चो का आएगा अच्छा रिजल्ट ,एक्सपर्ट ने दिय ये मंत्र

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Board Exam Tips 2023

Board Exam Tips 2023: आपसी खींचतान भूल परीक्षा तक बच्चे पर ध्यान दें माता-पिता, विशेषज्ञों ने दिए ये मंत्र

मुरादाबाद। संभागीय मनोविज्ञान केंद्र में छात्रों के बीच से चौंकाने वाली समस्याएं सामने आ रही हैं। बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे कई छात्रों ने पढ़ाई से दूरी का कारण माता-पिता के रवैये या घर के माहौल को बताया है तो कुछ ने स्कूल या साथियों की शिकायत की है. काउंसलिंग में बच्चों को सलाह दी गई है कि फिलहाल केवल परीक्षा और सिलेबस पर ही ध्यान दें। अभिभावकों को समझाया गया है कि आपसी मनमुटाव और गिले शिकवे भुलाकर परीक्षा संपन्न होने तक बच्चे को अनुकूल माहौल दें।

केस नंबर एक
कटघर के कक्षा 10 के छात्र ने मनोविज्ञान केंद्र में 18 समस्याओं वाला पेपर सौंपा। जब उन्होंने अपने खुद के मोटापे पर चिंता व्यक्त की, तो उन्होंने स्कूल में अपने साथियों द्वारा छेड़े जाने की शिकायत की। लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे… जैसे मन में पूछे गए सवाल का डर। सवाल उठाया कि मैं क्यों पढ़ूं, मैं खुद को पढ़ाई के लायक नहीं समझता। स्कूल जाकर खाने का मन नहीं करता। मोबाइल फोन को देखकर ही अच्छा लगता है। काउंसलिंग में जब माता-पिता से पूछा गया तो उन्होंने बेटे की कमियां गिनाईं। कहा कि वह अपनी बहन से जलता है, हर समय मोबाइल देखता है या शीशे के सामने खड़ा रहता है। माता-पिता को सलाह दी गई कि वे बेटे के प्रति सकारात्मक सोचें और बेटी से तुलना न करें। छात्र को समझाया गया कि वह अपने को सर्वश्रेष्ठ समझे। जब तक आप अपने अच्छे कर्मों और निर्णयों को नहीं पाते तब तक खुद पर गर्व करें। पुस्तकों को मित्र मानकर पढ़ाई में लगें।
केस नंबर दो

11वीं कक्षा की छात्रा पढ़ाई में काफी होशियार थी, लेकिन साल 2021 में उसकी पूरी दुनिया बदल गई जब उसके पिता की कोविड से मौत हो गई। काउंसलिंग में उसने बताया कि मां की नजदीकियों को देखकर उसने पढ़ाई से मुंह मोड़ लिया है। कहा- मैं जब भी पढ़ने बैठता हूं तो मां के बारे में सोचने लगता हूं। भविष्य में अकेले रहने से डर लगता है। किसी पर विश्वास करने का मन नहीं करता।

जब मां को काउंसलिंग के लिए बुलाया गया तो उसने पहली बार हर आरोप को गलत बताया। अकेले में सख्ती से पूछने पर उन्होंने कुछ बातें मानीं। कुछ देर बातचीत में उसने काउंसलर से कहा- सहयोग करें, मैं बेटी पर ध्यान दूंगा। मनोवैज्ञानिक ने छात्र को समझाया कि हो सकता है तुम गलत समझे हो। यह संभव है कि पिता की अनुपस्थिति में परिवार की देखभाल करने के इरादे से कोई रिश्तेदार घर से जुड़ा हो। माँ ने आपकी निकटता के लिए रिश्तेदार को घर से दूर रखने का फैसला किया है।

केस नंबर तीन

12वीं कक्षा की छात्रा ने 8वीं कक्षा तक विदेश में पढ़ाई की है। उसके छह साल के भाई को कैंसर है। माता-पिता को पुत्र की चिंता सताती रहती है। काउंसलिंग में उसने बताया कि मैं भी अपने भाई के लिए चिंतित हूं, लेकिन माता-पिता का प्यार नहीं मिलने से बेचैनी है। जब मैं पढ़ता हूं तो मुझे रोने का मन करता है। मुझे भूख नहीं लगती। किसी से बात करने का मन नहीं करता। काउंसलिंग में उसे समझाया गया कि यह स्वाभाविक है। स्वावलंबी बनने की भावना से पढ़ाई करें। अपने माता-पिता के लिए एक बेटे की भूमिका निभाने के लिए तैयार हो जाइए। यह पढ़ाई और करियर पर ध्यान देने से ही संभव है।

विशेषज्ञ युक्तियाँ
इन बातों का ध्यान रखें माता-पिता
बच्चों के सामने मत लड़ो।
जानिए बच्चों के स्कूल की रोजाना की गतिविधियों के बारे में।
बच्चों के सामने फोन का इस्तेमाल कम से कम करें।
पूरे परिवार को एक साथ एक समय भोजन करना चाहिए।
पढ़ाई के दौरान घर में शांत माहौल रखें।
सुबह बच्चे के साथ जागें और पढ़ाई के समय उसके आसपास रहें, ताकि उसे अकेलापन महसूस न हो।
बच्चे के व्यवहार पर रखें नजर, बदलाव नजर आते ही काउंसलर को दिखाएं।

बच्चों से उम्मीद करने से पहले खुद को मॉडल करें

जब घर की प्रतिकूल स्थिति बदलने लायक नहीं होती है, तब छात्रों को समझाया जाता है कि आपके लिए आपका जीवन कितना महत्वपूर्ण है, आपका करियर कितना महत्वपूर्ण है। अपनी प्राथमिकताओं को खोजें और उन पर काम करें। यदि किशोरावस्‍था में पारिवारिक वातावरण खराब पाया जाता है तो मनोवैज्ञानिक सलाह ऐसे बचाव के लिए कारगर होती है। – डॉ. मीनू मेहरोत्रा, मनोविश्लेषक

जब छात्र स्कूल में एक साथ रहते हैं तो वे घर के बुरे अनुभव को भूल जाते हैं। घर में रहने या ऑनलाइन अकेले रहने से बच्चों की परेशानी बढ़ जाती है। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी बनती है कि वे बच्चों को यह अहसास कराएं कि वे उनके साथ हैं। उन पर विश्वास करो। स्थिति ज्यादा खराब हो तो काउंसलिंग कराएं। – रीना तोमर, संभागीय मनोविज्ञान अधिकारी