
कवि और पत्रकार अमित शेखर की कविताओं के संकलन अमिट शेखर का लोकार्पण दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में किया गया. शेखर पेशे से पत्रकार थे. लेकिन मूलत:, वो एक संवेदनशील कवि थे. उन्होंने अंग्रेजी के बड़े प्रतिष्ठानों में करीब बीस साल तक नौकरी की, लेकिन कविताएं हिन्दी में लिखते रहे. पिछले कुछ वर्षों से वो अस्वस्थ रहे और दिल्ली में नौकरी छोड़ कर पटना में बस गए. पिछले 5 जून को अमित शेखर, सिर्फ़ 50 साल की आयु में अचानक दिल का दौरा पड़ने से हमारे बीच से चले गए.
शेखर के साथी उनकी कविताओं से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने उनकी कविताओं को ‘अमिट शेखर’ में संकलित कर प्रकाशित किया है. संकलन का लोकार्पण करते हुए डॉ. नवाज़ देवबंदी ने कहा कि अमित शेखर ‘एक शमा थे जिन्होंने कई चिराग़ों को रौशन किया… और उनके दोस्त वो चिराग़ हैं जो इस शमा को जलाए हुए हैं, और उनके ज़िन्दगी के बाद भी उनकी कविताओं और शायरी को सामने लाकर उन्हें एक नई ज़िन्दगी दी है, जो सालों साल चलती रहेंगी.”
पुस्तक की प्रस्तावना में मशहूर शायर ज्ञान प्रकाश विवेक लिखते हैं कि ‘शेखर की कविताएं गज़लनुमा हैं. या यूँ कहें कि उनकी ग़ज़लें कवितानुमा हैं. इनकी कविताओं में नए समय की गूंज सुनाई देती है. इसमें समाज है और उसका तलछट! समय है और उसका विद्रूप! मनुष्य है, और उसका मुठभेड़!