Defence Ministry approves procurement of military hardware worth Rs 13,165 crore । रक्षा मंत्रालय ने 13,165 करोड़ रुपए के सैन्य उपकरणों की खरीद की मंजूरी दी, मेक इन इंडिया को मिलेगा बढ़ावा

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रक्षा मंत्रालय ने 13,165 करोड़ रुपए के सैन्य उपकरणों की खरीद की मंजूरी दी, मेक इन इंडिया को मिलेगा बढ़ावा

नयी दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन से तनातनी के बीच रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को 13,165 करोड़ रुपये के सैन्य प्लेटफॉर्म और उपकरणों की खरीद के लिए मंजूरी दे दी जिनमें 25 स्वदेश विकसित आधुनिक हल्के (एएलएच) मार्क-3 हेलीकॉप्टर शामिल हैं जो भारतीय सेना की लड़ाकू क्षमता बढ़ाएंगे। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से आधुनिक हल्के हेलीकॉप्टर खरीदने की लागत 3,850 करोड़ रुपये आंकी गयी है, वहीं रॉकेट के गोला-बारूद की एक खेप 4,962 करोड़ रुपये में खरीदी जाएगी। 

बता दें कि, रक्षा मंत्रालय ने छह दिन पहले ही एक और बड़ी खरीद को मंजूरी दी थी जिसके तहत सेना के लिए 7,523 करोड़ रुपये की लागत से सेना के लिए 118 मुख्य युद्धक टैंक (एमबीटी) अर्जुन खरीदे जा रहे हैं। स्वदेश निर्मित एएलएच मार्क-3 दोहरे इंजन वाला, बहु भूमिका वाला नयी पीढ़ी का हेलीकॉप्टर है जो 5.5 टन वजन की श्रेणी में आता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी गयी। काउंसिल की बैठक में तय हुआ कि कुल खरीद में से 11,486 करोड़ रुपये के उपकरण और प्लेटफॉर्म घरेलू निकायों से खरीदे जाएंगे। 

रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘डीएसी ने भारतीय सशस्त्र बलों की अभियान संबंधी जरूरतों और आधुनिकीकरण के लिए लगभग 13,165 करोड़ रुपये के पूंजी अधिप्राप्ति प्रस्तावों के लिहाज से ‘अनिवार्यता स्वीकृति’ प्रदान की। कुल स्वीकृत राशि में से 11,486 करोड़ रुपये (87 प्रतिशत) की खरीद घरेलू स्रोतों से होनी है।’’ मंत्रालय ने बताया कि इसके साथ ही डीएसी ने रक्षा खरीद प्रक्रिया 2020 के कुछ संशोधनों को भी स्वीकृति दे दी।

मंत्रालय ने कहा, ‘‘आधुनिक हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) स्क्वाड्रन के लिए भारतीय सेना की जरूरत को देखते हुए, इसकी अभियान संबंधी तैयारियों के लिहाज से आंतरिक क्षमता सुधार के लिए डीएसी ने एचएएल से 25 एएलएच मार्क-3 हेलीकॉप्टरों की खरीद के लिए मंजूरी दी है।’’

रक्षा उपकरणों की इस खरीद को ऐसे समय मंजूरी दी गई है जब पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन की आक्रामकता कम होने का नाम नहीं ले रही है। हाल ही में रक्षा सूत्रों ने बताया था कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी से लगे अपने इलाकों में चीन स्‍थाई सैन्‍य ठिकानों का निर्माण कर रहा है। समाचार एजेंसी पीटीआइ की हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक एलएसी पर अभी भी भारत और चीन की ओर से 50 से 60 हजार जवानों की तैनाती बरकरार है।