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Timely Treatment of Brain Stroke : जब ब्रेन की कोई नस अचानक से ब्लॉक हो जाती है या फट जाती है, तो इसे ब्रेन स्ट्रोक (Brain Stroke) कहा जाता है. ब्रेन स्ट्रोक को दिमागी दौरा या ब्रेन अटैक भी कहते हैं. ऐसा होने पर ब्रेन तक ब्‍लड की सप्लाई रुक जाती है, जिसका सीधा असर ब्रेन फंक्शन पर पड़ता है. यह एक बहुत ही खतरनाक स्थिति होती है. वैसे तो ब्रेन स्‍ट्रोक कभी भी, कहीं भी हो सकता है, लेकिन इसके ज्यादातर मामले अर्ली मॉर्निंग देखने को मिलते हैं. आज के दौर में ऐसा नहीं है कि ब्रेन स्ट्रोक केवल बुजुर्गों को ही अपना शिकार बना रहा है, दुनिया भर में लाखों की संख्‍या में हर साल युवा (Young Adults) वर्ग इस बीमारी की चपेट में आकर अपनी जान गंवा रहा है. अकेले अमेरिका में हर साल लगभग 70 हजार युवा जिनकी उम्र 40 से कम है, इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आ रहे हैं.

दैनिक जागरण में छपी रिपोर्ट में मैक्स अस्पताल, गाजियाबाद में न्यूरो सर्जरी के निदेशक डॉ मनीष वैश्य ने ब्रेन स्ट्रोक को लेकर कुछ अहम बातें बताई हैं. डॉ वैश्य का कहना है कि ब्रेन स्ट्रोक दुनिया भर में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है. इससे व्यक्ति की मौत ही नहीं होती है, बल्कि वह दिव्यांग भी हो सकता है. उनका कहना है कि हमारे ब्रेन की लाखों नलिकाएं (Tubules) हार्ट से ब्रेन तक ब्लड पहुंचाने का काम करती हैं. ब्लड की आपूर्ति बाधित होने से ब्रेन की ओर ब्लड सर्कुलेशन नहीं हो पाता और आक्सीजन की सप्लाई रुक जाती है, जिससे ये नलिकाएं (Ducts) नष्ट होने लगती हैं. इसके अलावा ब्रेन स्ट्रोक, ब्रेन में ब्लड क्लाट बनने या ब्लीडिंग होने से भी हो सकता है.

ब्रेन हैमरेज
ब्रेन हैमरेज ब्लड नलिकाओं (Ducts) के फटने के कारण होता है. इसके कारण ब्रेन में ब्लीडिंग हो जाती है. ब्रेन हैमरेज का मेन कारण हाई बीपी है. कई बार अचानक से लोग मिनी स्ट्रोक का भी शिकार हो जाते हैं. ये तब होता है, जब बहुत थोड़े समय के लिए मस्तिष्क में ब्लड का ट्रांसमीशन इफेक्ट होता है. यह कुछ ही मिनट तक रहता है. मिनी स्ट्रोक से पीड़ित को कोई परमानेंट डेमेज तो नहीं पहुंचता है, लेकिन ये भविष्य में होने वाले स्ट्रोक का खतरा बढ़ा देता है. ब्रेन स्ट्रोक का गंभीर रूप है ब्रेन हैमरेज.

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ब्रेन स्ट्रोक आने पर क्या करें
डॉ वैश्य के अनुसार, ब्रेन स्ट्रोक आने पर मरीज को ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने वाली दवाई न दें और तत्काल इलाज के लिए अस्पताल ले जाएं. तुरंत इलाज कराना इसलिए जरूरी होता है कि स्ट्रोक आने पर न्यूरांस बहुत तेजी से नष्ट होते हैं और इनके बनने की गति बहुत धीमी होती है और स्थिति गंभीर होने की आशंका बढ़ जाती है.

इलाज
ब्रेन हैमरेज का इलाज इस पर निर्भर करता है कि ब्लीडिंग दिमाग के किस भाग में हुई है और इसका कारण क्या है. कुछ मामलों में डॉक्टर दवाओं द्वारा मरीज को ठीक कर देते हैं, लेकिन कई बार अधिक ब्लीडिंग के कारण सर्जरी की जरूरत पड़ती है.

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क्या करें और क्या न करें
– टेंशन ना लें, मेंटल पीस के लिए ध्यान करें.
-स्मोकिंग-एल्कोहल को कहें ना
-रेगुलर एक्सरसाइज और योग करें
– वेट को ज्यादा ना बढ़ने दें
-हार्ट और शुगर के रोगो ज्यादा ध्यान रखें
– सोडियम का अधिक मात्र में सेवन न करें.

इन लक्षणों से पहचानें
-अचानक सिर में तेज दर्द होना.
– दौरे पड़ना.
– हाथ या पैरों में कमजोरी महसूस होना.
–  उल्टी होना या जी मिचलाना
– देखने की क्षमता प्रभावित होना.
– हाथों और पैरों में सुन्नता आना.
– बोलने और निगलने में परेशानी होना.
– शरीर का संतुलन खो जाना.
– बेहोश हो जाना.

क्या हैं कारण
– सिर में लगी कोई चोट.
– हाई बीपी
– ब्रेन की ब्लड वेसल्स में सूजन.
– ब्लड से जुड़ी समस्याएं जैसे हीमोफीलिया या एनीमिया.
– लिवर से संबंधित समस्याएं.
– ब्रेन ट्यूमर.

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