How safe is pregnancy during breastfeeding know the answers to many questions from the experts nav

0
94

Pregnancy while Breastfeeding : कई महिलाओं में ऐसा देखने में आया है कि अभी उनका पहला बच्चा मां का दूध ही पी रहा है और वे प्रेगनेंट हो गईं हैं. ऐसे में उनके मन में हमेशा ये सवाल उठता रहता है कि क्या उन्हें अपने बच्चे को दूध पिलाना चाहिए ? स्तनपान यानी ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding) कराने वाली मांओं के लिए प्रेगनेंट होना कितना सही है? क्या इससे उनके बच्चे और होने वाले बच्चे पर कुछ असर होगा? ब्रेस्टफीडिंग के समय में प्रेगनेंट होने से उनकी खुद की सेहत पर क्या इफेक्ट पड़ेगा?

अमर उजाला अखबार में छपी रिपोर्ट में नोएडा के क्लाउड नाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स (Cloudnine Group of Hospitals) में लैक्टेशन कंसल्टेंट और चाइल्डबर्थ एजुकेटर (Lactation Consultant and Childbirth Educator) डॉ ख्याति चौधरी (Dr Khyati Choudhary) ने ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब दिए हैं.

ब्रेस्टफीडिंग कराते समय प्रेगनेंट हो सकते हैं?
डॉ ख्याति चौधरी का कहना है कि ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding) कराने वाली माएं भी प्रेगनेंट हो सकती हैं. हर नई मां को 6 महीने तक दिन के 24 घंटे में कम से कम 8 से 10 बार बच्चे को दूध पिलाना चाहिए. हालांकि इस दौरान आपकी प्रजनन क्षमता (fertility) कम होती है. मगर इसका मतलब ये नहीं है आप बच्चे के जन्म के लिए फर्टाइल (सक्षम) नहीं है. यदि ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मां बच्चे को दूध नहीं पिला रही है और उसे सप्लीमेंट मिल्क दे रही हैं तो महिला के प्रेगनेंट होने के चांस बढ़ जाते हैं.

यह भी पढ़ें- मीठी चीजें हमारे मूड को कुछ देर के लिए ही देती हैं हैपी फीलिंग, जानें क्‍या कहते हैं शोध

क्या ब्रेस्टफीडिंग एक तरह का बर्थ कंट्रोलर है?
रिपोर्ट में डॉ ख्याति बताती हैं कि पहले 6 महीनों में अपने बच्चे को दूध पिलाने का सबसे हेल्दी तरीका स्तनपान है. यह बर्थ कंट्रोलर का एक रूप भी हो सकता है. लेकिन यह केवल एक निश्चित तरीके से किया जाता है. जब आपको पीरियड्स आते है और फिर अगले पीरियड्स नहीं आते, तभी आपको पता चलता है कि आप फिर से गर्भवती हैं.

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान गर्भवती होने के संकेत?
डॉ ख्याति के अनुसार ब्रेस्टफीडिंग के दौरान शरीर में हार्मोन प्रोलैक्टिन (Prolactin) का उत्पादन बढ़ जाता है. प्रोलैक्टिन के हाई लेवल का मतलब प्रजनन क्षमता (fertility) का कम होना है. यह हार्मोन डिंबोत्सर्जन यानी ओव्यूलेशन (ovulation) को रोकता है और पीरियड्स होने से रोकता है. रात के समय और जागने के तुरंत बाद प्रोलैक्टिन का लेवल सबसे हाई होता है. लेकिन याद रखना जरूरी है कि ओव्यूलेशन हो सकता है, भले ही आपको मासिक धर्म प्रवाह (menstrual flow) का अनुभव ना हो. ब्रेस्टफीडिंग और प्रेगनेंसी संबंधी लक्षणों के लिए गाइनेकोलॉजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए. यदि प्रेग्नेंसी हेल्दी है तो आप इसे जारी रख सकती है. लेकिन यदि अबॉर्शन या कुछ अन्य तरह की समस्या है तो स्तनपान की सलाह नहीं दी जाएगी.

यह भी पढ़ें- International Day Of Older Persons: बुजुर्गों की देखभाल के लिए जरूरी है इन 5 बातों को जानना

ऑक्सटोसिन (oxytocin) एक प्रमुख हार्मोन है, जो दूध को कम करने में मदद करता है और गर्भाशय (Uterus)के संकुचन में भी मदद करता है. इसलिए यह देखना महत्वपूर्ण होता कि गर्भवती होने के दौरान मां कितने समय तक स्तनपान जारी रख सकती है. स्तनपान कराते समय प्रेगनेंसी पर ध्यान देने के कुछ सामान्य लक्षण है. प्यास, थकान, स्तन में दर्द होना, कम दूध आना, ऐंठन, मितली, भूख, मॉर्निंग सिकनेस और स्तन में गांठ का होना.

यदि प्रेगनेंसी और ब्रेस्टफीडिंग एक ही समय पर कराना हो तो?
डॉ ख्याति के अनुसार, इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि डॉक्टर महिलाओं को फिर से प्रेगनेंट होने के लिए पूरे एक साल और आदर्श रूप से 18 महीने इंतजार करने की सलाह देते हैं. क्योंकि यह उनकी फ्यूचर प्रेगनेंसी के लिए सबसे सेफ और हेल्दी ऑप्शन है. इससे पहले प्रेगनेंट होना विशेष रूप से पहले बच्चे के जन्म के पहले 6 महीनों के भीतर, नई प्रेग्नेंसी में कॉम्प्लिकेशन पैदा कर सकता है.

पढ़ें Hindi News ऑनलाइन और देखें Live TV News18 हिंदी की वेबसाइट पर. जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश, बॉलीवुड, खेल जगत, बिज़नेस से जुड़ी News in Hindi.