कहानी
आकाश (मीज़ान जाफरी) अपने पिता कपूर (आशुतोष राणा) के दोस्त बजाज (मनोज जोशी) की बेटी से शादी करने के लिए पूरी तरह तैयार है। अपने दोनों बेटे और पोतों से परेशान कपूर साहब थोड़ा चैन की सांस लेते ही हैं, कि अचानक वाणी (प्रणिता सुभाष) नाम की एक लड़की गोद में एक बच्ची के साथ उनके दरवाजे पर आती है। वह दावा करती है कि उनका बेटा आकाश कपूर उसे प्रेग्नेंट कर छोड़ आया था और ये बच्ची उनके बेटे की है। आकाश इस बात सहमति जताता है कि वह वाणी को जानता है। दोनों साथ में कॉलेज में थे और फिर दोनों में प्यार हो जाता है। लेकिन वह बताता है वाणी एक दिन उसे अचानक छोड़कर भाग गई थी और कॉलेज के बाद उसने कभी उसे देखा भी नहीं है, और ये बच्ची उसकी नहीं है। आकाश की बजाज की बेटी के साथ शादी हो, इससे पहले कपूर परिवार इस मामले की तह तक जाने का फैसला लेता है और इसमें उनका साथ देती है अंजलि (शिल्पा शेट्टी)। अंजलि कपूर परिवार की करीबी है, जिसे कपूर साहब बेटी की तरह मानते हैं। लेकिन अंजलि के शक्की पति राधे तिवारी (परेश रावल) को इस मामले की आधी अधूरी जानकारी मिलती है और वह यह मानने लगता है कि अंजलि और आकाश का अफेयर चल रहा है। यहां से कंफ्यूजन भरी कहानी की शुरुआत होती है।
निर्देशन
प्रियदर्शन की कॉमेडी फिल्मों का अपना एक अलग अंदाज होता है, एक फॉमूला होता है। भले ही वो उस फॉमूला का अपनी हर फिल्म में इस्तेमाल क्यों ना कर लें, कहानी में एक नयापन लगता है। लेकिन हंगामा 2 यहीं फेल होती है। पूरी फिल्म में गिनती के दृश्य होंगे तो आपके चेहरे पर मुस्कुराहट ला पाएंगे। पूरी फिल्म शुरु से अंत तक सपाट चलती है। संवाद ऐसे कि आप सिर पकड़कर बैठ जाएं। यहां तक की वह अपने पुराने चहेते स्टारकास्ट (परेश रावल, राजपाल यादव, टिकू तलसानिया) का भी सही से उपयोग करने में विफल रहे हैं। बता दें, हंगामा 2 प्रियदर्शन की ही मलयालम फिल्म मीन्नारम का रीमेक है, जिसमें मुख्य किरदार मोहनलाल ने निभाया था।
तकनीकी पक्ष
अनुकल्प गोस्वामी और मनीषा कोर्डे द्वारा लिखित संवाद बेहद निराशाजनक हैं। कॉमेडी फिल्म में गालियों का इतना प्रयोग क्यों किया गया है, यह समझ से परे है। जहां हाव भाव से काम चल सकता था, वहां भी संवाद घुसा दिये गए हैं, लिहाजा फिल्म ढ़ाई घंटे से भी लंबी बन पड़ी है। कई दृश्यों में दोहराव है। फिल्म के एडिटर एम एस अय्यपन नायर आराम से कैंची चलाकर फिल्म आधे घंटे तक छोटी कर सकते थे और कहानी को थोड़ा बांधा जा सकता था। वहीं फिल्म का सबसे कमजोर पक्ष है पटकथा, जो कि यूनुस सजावल ने लिखा है।
अभिनय
हंगामा 2 में एक ओर जहां प्रियदर्शन फिल्मों के पहचाने चेहरे जैसे परेश रावल, मनोज जोशी, टीकू तलसानिया और राजपाल यादव दिखते हैं। वहीं, मीजान जाफरी और प्रणिता जैसे नए कलाकार भी शामिल हैं। आशुतोष राणा समेत इन सभी कलाकारों ने अपने किरदार के साथ न्याय करने की कोशिश की है। लेकिन फिल्म की पटकथा इतनी कमजोर है कि किसी कलाकार के लिए कोई स्पेस नहीं छोड़ती है। कुछ किरदार तो ऐसे लगते हैं कि उन्हें सिर्फ फ्रेम भरने के लिए रखा गया है। सभी अपने पुराने देखे दिखाए हाव भाव के साथ दिखते हैं। राजपाल यादव इक्के दुक्के सीन में हंसाने में सफल रहे हैं। बहरहाल, इस फिल्म से शिल्पा शेट्टी अपने कमबैक को लेकर उत्साहित थीं। लेकिन फिल्म में उनका किरदार भी कोई प्रभाव नहीं छोड़ता है।
संगीत
फिल्म का म्यूजिक कंपोज किया है अनु मलिक ने और गीतकार है समीर। मीका सिंह की आवाज में फिल्म का अंतिम गाना है हंगामा हो गया.. जिसे आप थोड़ा बहुत एन्जॉय कर सकते हैं। चूंकि फिल्म ओटीटी पर रिलीज हुई है, काफी उम्मीद है कि ‘चुरा के दिल मेरा’ रीमेक समेत फिल्म के बाकी सारे गाने आप फॉरवर्ड कर देना चाहेंगे।
देंखे या ना देंखे
कुल मिलाकर हंगामा 2 दिल तोड़ती है। अक्षय खन्ना, आफताब शिवदसानी और रिमी सेन अभिनीत साल 2003 में आई फिल्म ‘हंगामा’ एक मजेदार फिल्म थी और देखा जाए तो उसे फ्रैंचाइजी का रूप देना अनावश्यक है। घिसी पिटी कहानी और किरदारों के साथ हंगामा 2 हंसाने में पूरी तरह से असफल रही है। फिल्मीबीट की ओर से हंगामा 2 को 1.5 स्टार।