
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष को शनिवार को देश के पहले लोकपाल के रूप में शपथ दिलाई. आधिकारिक बयान जारी कर जानकारी दी गई कि जस्टिस पीसी घोष को राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में शपथ दिलाई गई.
President Kovind administered the Oath of Office to Justice Pinaki Chandra Ghose as Chairperson, Lokpal, at a ceremony held at Rashtrapati Bhavan pic.twitter.com/flXLRbjWjg
— President of India (@rashtrapatibhvn) March 23, 2019
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति घोष को मंगलवार को देश का पहला लोकपाल नामित किया गया था.
कई हाईकोर्ट्स के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों-न्यायमूर्ति दिलीप बी भोसले, न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार मोहंती, न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी के अलावा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी को लोकपाल में न्यायिक सदस्य नियुक्त किया गया है.
सशस्त्र सीमा बल की पूर्व पहली महिला प्रमुख अर्चना रामसुंदरम, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य सचिव दिनेश कुमार जैन, पूर्व आईआरएस अधिकारी महेंद्र सिंह और गुजरात कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी इंद्रजीत प्रसाद गौतम लोकपाल के गैर न्यायिक सदस्य हैं.
न्यायमूर्ति घोष मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पद से रिटायर हुए थे. जब लोकपाल अध्यक्ष के पद के लिए उनके नाम की घोषणा हुई तो वह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य थे.
कुछ श्रेणियों के लोक सेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को देखने के लिए केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति करने वाला लोकपाल एवं लोकायुक्त कानून 2013 में पारित हुआ था. नियमों के अनुसार, लोकपाल समिति में एक अध्यक्ष और अधिकतम आठ सदस्यों का प्रावधान है. इनमें से चार न्यायिक सदस्य होने चाहिए.
नियमों के अनुसार, लोकपाल के सदस्यों में 50 प्रतिशत अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और महिलाएं होनी चाहिए. चयन होने के बाद अध्यक्ष और सदस्य पांच साल के कार्यकाल या 70 साल की उम्र तक पद पर बने रह सकते हैं.
लोकपाल अध्यक्ष का वेतन और भत्ते भारत के चीफ जस्टिस के बराबर होंगे. सदस्यों को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के बराबर वेतन और भत्ते मिलेंगे.