Kanpur Dehat Doctor Were Absent From Duty During The Entire Covid Period, Know In Details Ann 

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Kanpur Dehat Health Department: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradeh) सरकार जनता तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं (Health Services) पहुंचाने का दम भर रही है और स्वास्थ्य महकमा (Health Department) सरकार के दावों में पलीता लगा रहा है. ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात (Kanpur Dehat) जिले में देखने को मिल रहा है. यहां एक डॉक्टर (Doctor) पिछले 2 वर्षों से अपनी ड्यूटी से नदारद हैं तो वहीं, निचले स्तर की विभागीय मिलीभगत से लगातार अपनी हाजिरी भी लगवा दे रहा है. इतना ही नहीं डॉक्टर ने सरकारी वेतन का लाभ भी लिया है.  

ड्यूटी से नदारद रहे डॉक्टर
कानपुर देहात का स्वास्थ्य महकमा इन दिनों चर्चा में बना हुआ है. ताजा मामला कानपुर देहात के रसूलाबाद विधानसभा क्षेत्र में बने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का है. यहां पर पीएचसी के प्रभारी डॉक्टर शैलेंद्र वर्मा पिछले 2 वर्षों से या यूं कहें कि कोविड-19 में अपनी ड्यूटी से नदारद रहे. डॉक्टर शैलेंद्र पीएचसी में तैनात विभागीय कर्मचारियों की सांठगांठ से रोजाना अपनी हाजिरी तो लगवा ही लेते थे साथ ही हर महीने सरकार की ओर से मिलने वाले वेतन को भी निकाल लेते थे. ये सिलसिला लगभग 2 वर्षों से चला आ रहा है. 

ऐसे हुआ खुलासा 
2 महीने पहले रसूलाबाद के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक की तैनाती पर इस बात का खुलासा हुआ कि डॉक्टर शैलेंद्र वर्मा पिछले 2 वर्षों से अपने केंद्र में बतौर डॉक्टर कार्यरत नहीं रहे, जिससे मरीजों को भी दिक्कतें हुईं. डॉक्टर शैलेंद्र वर्मा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी के पद पर रसूलाबाद क्षेत्र में तैनात हैं और मूलरूप से लखनऊ में निवास करते हैं. लखनऊ और कानपुर देहात के रसूलाबाद क्षेत्र की दूरी की बात की जाए तो ये दूरी तकरीबन डेढ़ सौ किलोमीटर के आसपास मानी जाती है. 

कोविड काल में परेशान रहे मरीज 
डॉक्टर शैलेंद्र कोरोना काल में अस्पताल में नहीं रहे. ये पूरा मामला अब खुल गया है. आबादी और क्षेत्रफल के मामले में कानपुर देहात की रसूलाबाद विधानसभा सबसे बड़ी मानी जाती है और यहां मरीजों की संख्या भी बहुत थी. कोविड काल में रसूलाबाद में सबसे ज्यादा संक्रमित लोग निकले थे. बावजूद इसके डॉक्टर साहब अपनी ड्यूटी से नदारद रहे और घर बैठे हाजिरी लगवाने के साथ-साथ लाखों रुपए का सरकारी वेतन भी निकालते रहे. 

मुख्य चिकित्सा अधिकारी को भेजा गया पत्र 
रसूलाबाद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डॉ आशीष मिश्रा ने ड्यूटी से नदारद रहे डॉक्टर शैलेंद्र वर्मा की पूरी जांच पड़ताल की. जब उन्हें इस बात की पुष्टि हो गई कि डॉक्टर पिछले 2 वर्षों से अपनी ड्यूटी पर नहीं आए हैं तो उन्होंने कानपुर देहात के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर एके सिंह से पत्र में लिखकर सीएससी प्रभारी डॉ शैलेंद्र वर्मा की शिकायत कर दी. जिससे स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है.

मरीज करते थे शिकायत 
डॉक्टर शैलेंद्र वर्मा की शिकायत करने वाले रसूलाबाद सामुदायिक केंद्र के अधीक्षक डॉ आशीष मिश्रा की मानें तो उनके कार्यभार संभालते ही उन्हें इस बात की सूचना मरीजों से मिलने लगी थी. आए दिन मरीज डॉक्टर आशीष मिश्रा से इस बात की शिकायत करते थे कि साहब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर साहब तो आते ही नहीं हैं और ऐसे में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के तमाम मरीज का भार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रसूलाबाद पर पड़ने लगा. जिसके बाद डॉ आशीष मिश्रा ने इसकी पूरी जांच पड़ताल कर विभागीय कार्रवाई करने की ठान ली और उन्होंने जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को ड्यूटी से नदारद रहे डॉक्टर की पूरी कहानी पत्र में लिख भेजी. 

दिए गए जांच के आदेश 
स्वास्थ्य महकमे में चल रही डॉक्टर की मनमानी और धांधली से जब पर्दा उठा तो स्वास्थ्य महकमे के आला अधिकारियों की आंखें खुल गईं. पत्र कानपुर देहात के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर एके सिंह को दिया गया. जिसके बाद महकमे के अधिकारियों ने जांच कमेटी बना दी, तों वही डॉक्टर एके सिंह ने इस पूरे मामले में टीम गठित कर आरोपी डॉक्टर के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए और वक्ती तौर पर रसूलाबाद क्षेत्र से स्थानांतरण करके रूरा क्षेत्र में भेज दिया. 

जुलाई से रोक दिया गया है वेतन 
मुख्य चिकित्सा अधिकारी की मानें तो उन्होंने डॉक्टर का पिछली जुलाई से वेतन भी रोक रखा है और पिछले अनुमानित 2 वर्षों से बिना नौकरी पर आए उठाए जा रहे वेतन के खिलाफ भी कार्रवाई कर पिछले वेतन को भी डॉक्टर से भुगतान करने की बात कही है. जिसे शासन स्तर से जांच के बाद सरकार के पास भेज दिया जाएगा. ये राशि लगभग 50 लाख अनुमानित बनती है. साथ ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एके सिंह ने डॉक्टर की इस मनमानी में निचले स्तर के विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत होने की भी बात को स्वीकारा है. उन्होंने कहा कि जांच के बाद अगर उनकी संलिप्तता इस पूरे प्रकरण में पाई जाती है तो उनपर भी कठोर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं.

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