khaskhabar.com : गुरुवार, 30 सितम्बर 2021 3:26 PM
नई दिल्ली। हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले में स्टोन क्रशर के कारण होने वाले जल और वायु प्रदूषण की निगरानी के लिए एनजीटी द्वारा गठित संयुक्त पैनल ने क्षेत्र में और यूनिट लगाने की अनुमति पर पूरी तरह से बैन करने की सिफारिश की है। इस मामले पर अपने निर्देशों की निगरानी और निष्पादन के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा गठित समिति ने मंगलवार को प्रधान पीठ के समक्ष अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि क्षेत्र में स्टोन क्रशर की नई इकाई स्थापित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
महेन्द्रगढ़ जिले के प्रभावित गांवों के निवासियों द्वारा दायर एक अपील पर समिति का गठन किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि इकाइयों से निकलने वाली धूल, सांस की समस्या और अन्य स्वास्थ्य खतरे पैदा कर रही है।
महेन्द्रगढ़ उपायुक्त की अध्यक्षता वाली समिति के साथ संभागीय वन अधिकारी और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) सहित अधिकारियों को केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) की अनुमति के बिना स्टोन क्रशर के कथित अवैध संचालन और भूजल निकासी की निगरानी करने के लिए कहा गया था।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “खनिज पीसने वाली यूनिटों को यह सुनिश्चित करने के लिए उपाय करना चाहिए कि संचालन स्टोन क्रशिंग इकाइयों से निकलने वाली धूल या प्रदूषक पीसने के समय हवा में ना मिलें।”
इसने यह भी कहा, “राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) को इकाइयों के कामकाज के लिए विस्तृत दिशा-निर्देशों के साथ आना चाहिए, ताकि यह क्षेत्र में प्रदूषण पैदा ना कर सके।”
रिपोर्ट के अनुसार महेंद्रगढ़ जिले में 162 स्टोन क्रशर यूनिट हैं, जिनमें खनिजों की प्रमुख पीसने वाली मशीनें लगाई गई हैं।
एसपीसीबी की कार्रवाई के चलते कुछ स्टोन क्रशिंग यूनिटों को बंद कर दिया गया है।
–आईएएनएस
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