Raag Daari Raag Bhinn Shadaj When Naushad Replaced Talat Mahmood With Mahendra Kapoor Manoj Kumar Upkar Am | जब मनोज कुमार के कहने पर नौशाद ने दिया था महेंद्र कपूर को मौका

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जब मनोज कुमार के कहने पर नौशाद ने दिया था महेंद्र कपूर को मौका



साल 1968 की बात है. डायरेक्टर ए भीमसिंह एक फिल्म बना रहे थे. फिल्म का टाइटिल था, आदमी. ए भीमसिंह तमिल फिल्मों का जाना-माना नाम थे, तमिल के अलावा उन्होंने हिंदी में भी कई फिल्में बनाई थी. उन्हीं में से एक फिल्म थी, आदमी. दरअसल 1967 और 68 के करीब उन्होंने एक के बाद एक कई हिंदी फिल्में बनाईं. आदमी फिल्म के लिए ए भीमसिंह ने दिलीप कुमार, मनोज कुमार और वहीदा रहमान को साइन किया था. फिल्म में सिमी ग्रेवाल और प्राण की भी अहम भूमिका था. संगीत नौशाद साहब का था. फिल्म आदमी तमिल फिल्म ‘आलायमीनी’ का रीमेक थी. जिसमें शिवाजी गणेशन  ने काम किया था. इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा खासा कमाल किया था. इस फिल्म के जिस गीत और उसके राग की कहानी हम आपको सुनाने जा रहे हैं पहले वो गाना सुन लेते हैं

https://www.youtube.com/watch?v=jiZRLZX59nM

हुआ यूं था कि इस गीत को पहले नौशाद साहब ने मोहम्मद रफी और तलत महमूद से गवाया था. ये वो दौर था जब मनोज कुमार और महेंद्र कपूर की जोड़ी हिट हो चुकी थी. महेंद्र कपूर परदे पर मनोज कुमार की आवाज बन चुके थे. ठीक एक साल पहले रिलीज हुई फिल्म ‘उपकार’ का करिश्माई गाना ‘मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती’ भी मनोज कुमार के लिए महेंद्र कपूर ने ही गाया था. मनोज कुमार महेंद्र कपूर को अपने लिए भाग्यशाली मानने लगे थे. जब उन्हें पता चला कि फिल्म में गाने का जो हिस्सा उन पर फिल्माया जाने वाला है वो तलत महमूद ने गाया है तो थोड़ा परेशान हुए.

दुर्लभ है राग भिन्नषडज

बाद में उन्होंने नौशाद साहब से इच्छा जताई कि ये गाना मोहम्मद रफी के साथ महेंद्र कपूर से गवाया जाए. नौशाद ने मनोज कुमार की इस गुजारिश को स्वीकार कर लिया. रफी साहब की आवाज वाला हिस्सा दिलीप कुमार पर फिल्माया गया और महेंद्र कपूर की आवाज वाला हिस्सा मनोज कुमार पर. आपको एक वीडियो दिखाते हैं जो मोहम्मद रफी को याद करते हुए गायक जावेद अली की है. जिसकी शुरूआत में वो इस गाने के राग के बारे में बता रहे हैं और साथ ही कुछ और दिलचस्प जानकारी दे रहे हैं.

फिल्म में दिलीप कुमार ने एक बेसहारा बच्चे का रोल किया है. इस फिल्म के डायलॉग्स भी काफी मशहूर हुए थे. जो जाने माने उर्दू लेखक अख्तर उल ईमान के लिखे हुए थे. अख्तर साहब को इस फिल्म से पहले 1963 और 1966 में बेस्ट डायलॉग राइटर के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका था. 1963 में उन्हें ये ईनाम फिल्म धर्मपुत्र और 1966 में फिल्म वक्त के लिए मिला था. डायलॉग्स का जिक्र इसलिए कर रहे हैं क्योंकि फिल्म में दिलीप कुमार का ये डायलॉग बड़ा मशहूर हुआ था कि मैंने भी एक भूल की थी और अनगिनत आंसुओं को बहाकर मैंने जाना कि गलती करने वाला आदमी होता है और पछताने वाला इंसान. खैर, अभी जो वीडियो आपने देखा उसमें सुना ही कि  ये राग काफी दुर्लभ किस्म का राग है.

यही वजह है कि फिल्मी संगीत में इस राग पर आधारित गाने ना के बराबर कंपोज किए गए. ये नौशाद साहब का हुनर ही था कि वो इस तरह की रागों को भी छुते हुए फिल्मी गाने कंपोज किया करते थे और बड़ी बात ये है कि उन गानों को लोग काफी पसंद भी करते थे. पिछले वीडियो में जावेद अली ने शुरूआत में जो ठुमरी गाई थी वही ठुमरी उस्ताद राशिद खान से सुनते हैं. जिसमें उनकी गायकी पर एक से बढ़कर एक दिग्गज कलाकार दाद दे रहे हैं

बात राग कौशिक ध्वनि या भिन्न षडज की चल रही है तो उसके शास्त्रीय पक्ष के बारे में भी आपको बताते हैं. राग भिन्न षडज बिलावल थाट का राग है. इस राग में ‘रे’ और ‘प’ नहीं लगता है. इस राग की जाति औडव होती है. राग भिन्न षडज में लगने वाले सभी स्वर शुद्ध होते हैं. इस राग का वादी स्वर म और संवादी स्वर स है. वादी और संवादी स्वरों के बारे में हम आपको पहले भी बता चुके हैं जो महत्व शतरंज के खेल में बादशाह और वजीर का होता है वही महत्व किसी भी राग में वादी और संवादी स्वरों का होता है. रात के पहले पहर में इस राग को गाया बजाया जाता है. इस राग को गाते बजाते समय इसे राग रागेश्री और राग बिहाग से बचाना होता है. जाहिर है इन सभी रागों का स्वरूप आस पास है. आइए अब आपको राग भिन्नषड़ज का आरोह अवरोह बताते हैं

आरोह- सा ग म ध नी सां

अवरोह- सां नी ध म ग सा

रागों की कहानियों की इस सीरीज में हम आपको हमेशा अंत में कुछ वीडियो ऐसे दिखाते हैं जो शास्त्रीय कलाकारों के होते हैं. जिससे राग की शास्त्रीय अदायगी का भी पता चल सके. आज एक दिलचस्प प्रयोग करते हैं. आज आपको दो ऐसे कलाकारों का राग भिन्नषड़ज सुनाते हैं जो गुरू शिष्य हैं. पहला वीडियो दिग्गज कलाकार विश्वविख्यात पंडित जसराज जी का है और दूसरा उनके शिष्य पंडित संजीव अभयंकर का. पंडित संजीव अभयंकर नई पीढ़ी के बेहद प्रतिभाशाली कलाकारों में से एक हैं. फिल्म गॉडमदर में उनके गाने के लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है. 1996 में रिलीज फिल्म ‘माचिस’ में उन्होंने लता मंगेशकर के साथ एक गाने में आलाप किया था, जिसकी बहुत तारीफ हुई थी. खैर, आप पंडित जसराज और पंडित संजीव अभयंकर का गाया राग भिन्नषड़ज सुनिए.

https://www.youtube.com/watch?v=KCFDGuzBtrs

https://www.youtube.com/watch?v=w6m6Xih77wY

आज के राग के किस्से के अंत में विश्वविख्यात संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा को सुनिए जो राग कौशिक ध्वनि के सुरों में बेहद मामूली बदलाव के साथ राग मिश्र कौशिक ध्वनि बजा रहे हैं.

आज के राग की कहानी में इतना ही, अगले रविवार एक नया राग. कुछ नए किस्से और नई कहानियां होंगी.

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