Raagdari Raag Jaunpuri Named On City Of Jaunpur Film Songs Of Taxi Driver Swades By Sd Burmen And Ar Rehman Are Based On Rag Jaunpuri Am | रागदारी: शहर के नाम पर बना राग जिसे रहमान ने रामलीला में पिरोया

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रागदारी: शहर के नाम पर बना राग जिसे रहमान ने रामलीला में पिरोया



क्या किसी शहर के नाम पर भी हो सकता है एक शास्त्रीय राग का नाम?

अपनी सल्तनत खोने वाले संगीत प्रेमी एक सुल्तान की कहानी

आज के राग की कहानी किसी फिल्म, किसी संगीतकार या किसी गाने से नहीं बल्कि एक सुल्तान के किस्सों से करेंगे. क्या आपने सुना या सोचा भी है कि किसी राग का नाम किसी जगह से जुड़ा हुआ हो. शास्त्रीय संगीत की परंपरा में जगहों के नाम पर घराने तो होते हैं लेकिन राग शायद ही कोई और हो. ये किस्सा जानने के लिए इतिहास के पन्नों को उलटना पड़ेगा. 1394 से 1479 के बीच जौनपुर उत्तर भारत की आजाद सल्तनत थी. इस सल्तनत पर शर्की वंश का राज था. ख्वाजा-ए-जहां मलिक सरवर इस सल्तनत के पहले शासक थे, जो कभी नसीरूद्दीन मोहम्मद शाह के वजीर हुआ करते थे. इस सल्तनत के आखिरी शासक थे सुल्तान हुसैन शर्की.

सुल्तान हुसैन शर्की को संगीत से बहुत लगाव था. उन्हें गंधर्व की उपाधि से नवाजा गया था और वो ख्याल गायकी को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने मल्हार श्याम, गौड़ श्याम और भोपाल श्याम जैसी दुर्लभ रागों को भी बनाया था. अपने इसी संगीत प्रेम में उन्होंने एक और राग बनाया जिसे नाम दिया गया राग हुसैनी, इसी राग का बाद में प्रचलित नाम पड़ा राग जौनपुरी. जिसे शास्त्रीय गायकी में खूब गाया बजाया जाता है. जैसा कि परंपरागत तौर पर होता भी रहा है कि बाद में सुल्तान हुसैन शर्की की सल्तनत को बहलोल लोदी ने दिल्ली सल्तनत में मिला लिया. सुल्तान हुसैन शर्की अपनी सल्तनत तो खो बैठे लेकिन संगीत के प्यार में उन्होंने कुछ राग ऐसे जरूर बनाए जिनकी वजह से उन्हें हमेशा याद किया जाता है. राग जौनपुरी के विस्तार में जाएं इससे पहले आपको पटियाला घराने के विश्वविख्यात कलाकार उस्ताद बड़े गुलाम अली खान साहब का गाया राग जौनपुरी सुनाते हैं.

जैसा कि हमने आपको शुरू में बताया कि सुल्तान हुसैन शर्की का बनाया ये राग बाद में शास्त्रीय संगीत में खूब गाया-बजाया गया. शास्त्रीय संगीत का शायद ही कोई दिग्गज कलाकार बचा हो जिसने राग जौनपुरी की प्रस्तुति ना दी हो. आपको शास्त्रीय गायको में पटियाला घराने के दिग्गज कलाकार उस्ताद बड़े गुलाम अली खान के बाद जयपुर अतरौली घराने की किशोरी अमोनकर का गाया राग जौनपुरी सुनाते हैं.

इन दोनों वीडियो में आपने इस राग के गायकी पक्ष को सुना, वादन में इसकी अदायगी के लिए एक और वीडियो आपको दिखाते हैं. दुनिया भर से मशहूर सरोद वादक उस्ताद अली अकबर खान का बजाया राग जौनपुरी सुनिए. दूसरे वीडियो में लोकप्रिय सितार वादक पंडित निखिल बनर्जी राग जौनपुरी बजा रहे हैं. इन दोनों वीडियो के बाद आपको फिल्मी दुनिया में राग जौनपुरी के रंग से परिचित कराएंगे. वहां भी आपको इस राग के बहुत से रंग देखने को मिलेंगे.

अमूमन हम फिल्मी किस्से से राग की शुरूआत करते हैं. आज थोड़ा उलट परंपरा से फिल्मी किस्से की बात अब करते हैं. 1954 में एक फिल्मं रिलीज हुई-टैक्सी ड्राइवर. इस फिल्म के निर्देशक थे चेतन आनंद और अभिनेता थे देव आनंद. फिल्म का संगीत एसडी बर्मन ने तैयार किया था और गीतकार थे साहिर लुधियानवी. इस फिल्म के दो किस्से बड़े मशहूर हुए. पहला तो ये कि फिल्म में देव आनंद नंबर प्लेट 1111 वाली जिस ब्रिटिश मेड कार ‘हिलमैन मिंक्स’ से चलते थे वो बाद में करीब बीस साल तक बॉम्बे में उससे चलना शान की बात समझी जाती थी. दूसरा किस्सा ये था कि देव आनंद और सचिन देव बर्मन ने तय किया कि इस गाने को ‘मेल’ और ‘फीमेल’ दोनों ‘वर्जन’ में तैयार किया था. मेल वर्जन तलत महमूद ने गाया था जबकि फीमेल वर्जन लता मंगेशकर ने. बाद में इस फिल्म के लिए सचिन देव बर्मन को फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजा गया था, लेकिन उस गाने के लिए जो तलत महमूद ने गाया था. आइए वही गाना सुनते हैं ‘जाएं तो जाएं कहां’

राग जौनपुरी का शास्त्रीय संगीत की तरह फिल्मों में भी अच्छा खासा इस्तेमाल हुआ है. 1950 में आई फिल्म-जोगन का घूंघट के पट खोल, 1951 में आई फिल्म-मदहोश का मेरी याद में तुम ना आंसू बहाना से लेकर 1985 में आई फिल्म-सत्यमेव जयते का दिल में हो तुम आंखो में तुम और 2004 में आई फिल्म- स्वेदश का पल पल है भारी जैसे गाने राग जौनपुरी के आधार पर कंपोज किए गए. ये इस राग की रेंज ही है कि एसडी बर्मन, मदन मोहन, हेमंत कुमार से लेकर बप्पी लाहिड़ी और एआर रहमान जैसे संगीतकारों ने अपने गानों की धुन राग जौनपुरी की जमीन पर तैयार की हैं. आइए आपको इन्हीं गानों में से दो गाने सुनाते हैं.

https://www.youtube.com/watch?v=NwKZzJyeKZE

https://www.youtube.com/watch?v=o4QacoCgPl4

आज कॉलम के अंत में आपको राग जौनपुरी के शास्त्रीय पक्ष से वाकिफ कराते हैं. राग जौनपुरी आसावरी थाट का राग है. इस राग में ‘ग’ ‘ध’ और ‘नी’ कोमल लगते हैं. राग जौनपुरी के आरोह में ‘ग’ नहीं लगता है जबकि अवरोह में सभी सातों स्वर लगते हैं. इसलिए इस राग की जाति षाडव संपूर्ण है. राग जौनपुरी में वादी स्वर ‘ध’ और संवादी स्वर ‘ग’ होता है. वादी और संवादी स्वर के बारे में हम आपको बता चुके हैं कि किसी राग में वादी संवादी स्वर का वही महत्व होता है जो शतरंज के खेल में बादशाह और वजीर का. इस राग को गाने बजाने का समय दिन का दूसरा प्रहर है. चूंकि ये राग आसावरी के काफी करीब का राग है इसलिए इसे आसावरी से बचाने के लिए ‘रे’, ‘म’, ‘प’ स्वर बार बार इस्तेमाल किए जाते हैं. इस राग को लेकर एक मतभेद ‘नी’ को लेकर है. कुछ गायक इसके आरोह में शुद्ध ‘नी’ भी लगाते हैं. वैसे प्रचलन में कोमल ‘नी’ लगता है. आइए अब आपको राग जौनपुरी का आरोह अवरोह बताते हैं.

आरोह- सा रे म प ध नी सां

अवरोह- सां नी ध प, म ग, रे सा

पकड़- म प, नी ध प, ध म प ग S रे म प

इस राग की बारीकियों को समझने के लिए आप एनसीईआरटी का ये वीडियो भी देख सकते हैं.

राग जौनपुरी के किस्से यहीं खत्म करते हैं, अगले हफ्ते किसी और शास्त्रीय राग के साथ आपसे मुलाकात होगी.