Raagdari Rag Vibhas Raag Vibhas In Film Utsav This Rag Used In Two Songs Amitabh Bacchan Will Not Able To Act With Rekha Shashi Kapoor Is Main Actor Pr | रेखा के साथ एक और फिल्म करने से क्यों चूक गए थे अमिताभ बच्चन

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रेखा के साथ एक और फिल्म करने से क्यों चूक गए थे अमिताभ बच्चन



आज जिस राग की हम बात करने जा रहे हैं उसमें परत दर परत कई कहानियां छुपी हुई हैं. ये कहानियां बेहद दिलचस्प हैं. 70 के दशक के अंतिम सालों की बात है. अभिनेता शशि कपूर ने अपना प्रोडक्शन हाउस शुरू किया था. इसके पहले वो सुनहरे पर्दे पर बतौर अभिनेता अपनी मजबूत पहचान बना चुके थे.

राखी, शर्मिला टैगौर, जीनत अमान जैसी अभिनेत्रियों के साथ उनकी जोड़ी दर्शकों को खूब पसंद आई थी. 1978 में जब उन्होंने अपना प्रोडक्शन हाउस शुरू किया तो उसके बैनर तले जुनून, कलयुग, 36 चौरंगी लेन और विजेता जैसी फिल्में बनाई थीं. 80 का दशक शुरू हो चुका था. ये वही दौर है जब फिल्मी पर्दे पर एक जोड़ी ने धूम मचा दी थी. जिस जोड़ी का जलवा सिल्वर स्क्रीन पर लंबे समय तक रहा. नमक हराम, मिस्टर नटवरलाल, खून पसीना, मुकद्दर का सिकंदर, सुहाग जैसी फिल्मों में इस जोड़ी को दर्शकों ने जुनून की हद तक पसंद किया था. इसके बाद जब 1981 में यश चोपड़ा की फिल्म सिलसिला रिलीज हुई तो ये जुनून अपने चरम पर पहुंच चुका था.

यूं तो हम अपने इस कॉलम में राग की बात करते हैं लेकिन आज के राग के पीछे कहानी की शुरूआत इतनी रोमांटिक है कि पहले फिल्म सिलसिला के एक गीत को सुन लेते हैं, फिर राग की कहानी को शुरू करेंगे.

चलिए ये गाना तो बस प्रसंगवश था. अब आते हैं जहां से आज के किस्से की शुरुआत की थी. हुआ यूं कि शशि कपूर तब तक एक फिल्म बनाने का फैसला कर चुके थे. फिल्म के लिए उन्होंने बतौर हीरो अमिताभ बच्चन को साइन करने का मन बना लिया था. ये लगभग 1982 के साल की बात है. अमिताभ और शशि कपूर इससे पहले एक साथ काम भी कर चुके थे. इससे पहले की शशि कपूर अपनी इस फिल्म के लिए अमिताभ बच्चन के साथ शूटिंग शुरू करते अमिताभ बच्चन के जीवन में एक खतरनाक ‘ट्रेजेडी’ हुई. हुआ यूं कि अमिताभ बच्चन मनमोहन देसाई की फिल्म ‘कुली’ की बैंगलोर में शूटिंग कर रहे थे. शूटिंग के दौरान एक शॉट देते वक्त अमिताभ बच्चन को गंभीर चोट आई. वो पुनीत इस्सर के साथ एक ‘फाइट सीन’ था. कहा जाता है कि उस चोट के बाद कुछ समय के लिए अमिताभ बच्चन की सांस तक रूक गई थी.

अमिताभ खुद भी कई बार उस चोट के बाद के जीवन को अपना दूसरा जीवन कहते हैं. जाहिर है अमिताभ की चोट इतनी गंभीर थी कि वो अगले कुछ समय तक फिल्मों की शूटिंग नहीं कर सकते थे. ऐसे में निर्माता शशि कपूर को मन मसोसकर फिल्म उत्सव में खुद ही अभिनय भी करना पड़ा.

देखा आपने, हमने कहा था ना कि आज के राग के किस्से कई परतों में खुलेंगे. चलिए इसके बाद सीधे राग पर आएंगे लेकिन पहले वो सीन भी देख लेते हैं जिसने अमिताभ बच्चन के करोड़ों चाहने वालों की सांस रोक दी थी.

https://www.youtube.com/watch?v=m5mvZ1prZEQ

फिल्म ‘उत्सव’ के लिए शशि कपूर ने गिरीश कर्नाड को डायरेक्शन की जिम्मेदारी सौंपी. संगीत लक्ष्मीकांत प्यारेलाल को तैयार करना था. ये फिल्म ‘मृच्छकटिकम्’ नाम के एक संस्कृत नाटक पर आधारित थी. शशि कपूर ने इस फिल्म के लिए रेखा को शायद ये सोचकर साइन किया था कि अमिताभ बच्चन के साथ उनकी जोड़ी एक बार फिर कमाल करेगी. हालांकि अमिताभ इस फिल्म में काम नहीं कर पाए.

इस फिल्म के लिए लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने संगीत के लिहाज से भी प्रयोग किए. उन्होंने इस फिल्म का एक गाना लता मंगेशकर और आशा भोंसले से गवाया जो बेहद लोकप्रिय भी हुआ. चूंकि अब हमें सीधे आज के राग पर आना है इसलिए इस फिल्म के उन दो गानों का जिक्र करते हैं जिन्हें लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने एक ही राग में कंपोज किया था. फिल्मों में ऐसा कम ही होता है कि संगीतकार एक ही फिल्म में एक ही राग के दो गाने इस्तेमाल करे लेकिन लक्ष्मीकांत प्यारेलाल प्रयोग करने से हिचकिचाते नहीं थे. उन्होंने इस फिल्म के लिए राग विभास में दो गाने कंपोज किए थे.

आपको वो दोनों गाने सुनाते हैं. नीलम के नभ छाई और सांझ ढले गगन तले, आप इन दोनों गानों को सुनिए आपको राग की समानता बिल्कुल आसानी से समझ आ जाएगी.

किस्सों में किस्सा ये भी है कि ‘सांझ ढले गगन तले’ ऐसा गाना है जिसने गायक सुरेश वाडेकर के करियर को शुरूआती दौर में पहचान दिलाई. अब फिल्म उत्सव का अगर वो गाना आपको नहीं सुनाया जो लता मंगेशकर और आशा भोंसले ने एक साथ गाया था तो किस्से अधूरे रह जाएंगे. यूं तो वो गाना राग विभास में नहीं था लेकिन इस फिल्म की उतनी ही पहचान उस गाने से भी है. आशा जी कहती हैं कि वो लता जी के साथ उस गाने को गाते वक्त बहुत घबराई हुई थीं और सिर्फ अपनी बहन की आंखों में देख लेती थीं कि उनका ‘रिएक्शन’ कैसा है.

अब तक आप समझ गए होंगे कि ये गाना था ‘मन क्यों बहका रे बहका आधी रात को’ है, जिसके लिए गीतकार वसंत देसाई को बेस्ट गीतकार का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला था. तो चलिए आपको सुनाते हैं फिल्म ‘उत्सव’ का वो सुपरहिट गाना. जो आज की हमारी राग पर आधारित नहीं है लेकिन उसी फिल्म का है जिसका हम जिक्र कर रहे हैं. ये भी जानना जरूरी है कि इसी फिल्म के एक और गीत मेरा मन बाजा मृदंग मजीरा के लिए अनुराधा पौंडवाल को बेस्ट सिंगर का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था.

जैसा की हमने आज की राग के बारे में पहले ही कहा था ये राग किस्सों को परत दर परत समेटे हुए है इसलिए अब सीधे इस राग के शास्त्रीय पक्ष पर आते हैं. राग विभास की उत्पत्ति भैरव थाट से है. इसमें ‘म’ और ‘नी’ नहीं लगता है. इस राग की जाति औडव-औडव है. जिसमें ‘रे’ और ‘ध’ स्वर कोमल हैं और बाकि सभी स्वर शुद्ध. राग विभास का वादी स्वर ‘ध’ और संवादी स्वर ‘रे’ है. इसे गाने बजाने का समय दिन का पहला पहर है. राग विभास का आरोह-अवरोह भी देख लेते हैं.
आरोह- सा रे ग प ध सां
अवरोह- सां ध प, ग प ध प, ग रे सा
पकड़- ध ध प, ग प ग, रे सा

इस राग को और विस्तार से जानने के लिए एनसीईआरटी का राग विभास पर बनाया गया ये वीडियो देखिए.

https://www.youtube.com/watch?v=Xcz4W6qLRP8

राग के शास्त्रीय पक्ष को जानने समझने के बाद आपको दिखाते हैं कुछ दिग्गज कलाकारों के वीडियो, जिसमें उन्होंने राग विभास को गाया बजाया है. गायन पक्ष को समझने के लिए पंडित जीतेंद्र अभिषेकी को सुनिए और वादन पक्ष समझने के लिए विश्वविख्यात संतूर वादक पंडित भजन सोपोरी को सुनिए.

https://www.youtube.com/watch?v=ZHmjFJhumcY

अगले हफ्ते आपको एक नए राग की कहानी किस्से सुनाएंगे और बताएंगे उसके शास्त्रीय पक्ष की बारीकियां.