
कहानी
‘चूहा बिल्ली’ फिल्म की शुरुआत रैट (अनुप्रिया गोइनका) के कमरे में शामिल होने से शुरू होती है। कमरे के अंदर सोफे पर अपने हाथों पर नेलपैंट लगाती कैट (अदा शर्मा) आपको थोड़ी अटपटी लगेगी। जिसके एक्सप्रेशंस ही गजब के हैं। उसके बिखरे बाल हैं और थोड़ा पागलपन सिर पर सवार है। जो हर बात को सीधे न बोलकर एक कहानी की तरह प्रसेंट करती है।
दोनों के बीच संवाद ही बिल्डिंग में किसी खुशबू नाम की 19 साल की लड़की द्वारा सुसाइड किए जाने को लेकर शुरू होता है। शुरुआत के कुछ मिनट ऐसा लगता है जैसे कैट एकदम ठीक है, लेकिन कुछ देर बाद साफ होता है कि वह सही नहीं बल्कि पैनिक अटैक, स्ट्रैस और मानसिक रूप से बीमार चल रही है, जिसका इलाज उसकी दोस्त करवा रही है।
सोसाइटी में हुई सुसाइड की घटना के बारे में जब कैट बताती है तो वह तीन-चार कहानियों को इस तरह बुनती है कि रैट समझ नहीं पाती। इस दौरान रैट दोस्त कैट से दवाईयां लेने के बारे में भी पूछती है।
फिर पता चलता है कि कैट एक्टिंग से जुड़े क्षेत्र में काम किया करती थीं लेकिन बीमार होने के वजह से वह इन दिनों आराम कर रही है। इसके बाद रैट और उसके बॉयफ्रेंड का जिक्र भी होता है। फिर स्टोरी का अंत भयावक होता है जिसकी शायद दर्शकों ने कल्पना न की हो।

क्या है अटपटा
बीच बीच में अदा शर्मा और अनुप्रिया के बीच के संवाद बोझिल हो जाते हैं। स्क्रिप्ट के ढीला होने की वजह से बीच में कहानी थोड़ा बोर करती है लेकिन अंत आते आते अदा और अनुप्रिया दोनों की ही एक्टिंग इस 15 मिनट को बर्बाद होने से बचा लेते हैं।

विषय
‘चूहा बिल्ली’ फिल्म के टाइटल को सुनकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे ये कहानी किसी नोकझोंक से जुड़ी होगी या दो लोगों के बीच की टकराव की कहानी होगी, लेकिन ये एकदम विपरीत है। आत्महत्या और मानसिक रोग जैसे मोटे विषयों को समेटे हुए ये कहानी पिरोई गई है। जिसका थॉट यकीनन दर्शकों को जरूर पसंद आता है। अंत में अदा का पागलपन दर्शकों को हैरत में भी डाल देता है।

निर्देशन
जैसा कि सभी जानते हैं कि कम समय में पूरी कहानी को सही मैसेज के साथ पहुंचा बहुत ही कठिन काम होता है। ऐसे में प्रसाद कदम में कम समय में इस कहानी को कंप्लीट किया और अंत में शानदार मैसेज दिया। बस संवाद अगर और मजबूती से लिखे जाते तो ये शॉर्ट फिल्म पूरे में से पूरे नंबर हासिल कर पाती।